उस प्रेम तरू के कोटर में इक पीड़ सुहानी रखी है समझ की सधी गुलेलों पे कंकड़ भर नादानी उस प्रेम तरू के कोटर में इक पीड़ सुहानी रखी है समझ की सधी गुलेलों पे कं...
घर में घर में
मध्यांतर में मध्यांतर में
शीशे में शीशे में
सोचता ज्यादा हूँ बोलता कम हूँ मैं। खुद से कहीं अकेला पड़ गया हूँ मैं।। सोचता ज्यादा हूँ बोलता कम हूँ मैं। खुद से कहीं अकेला पड़ गया हूँ मैं।।
क्या रिश्ता उससे मेरा है क्यूँ याद आती हर पल उसकी थम जाता दिल मेरा हैहर बातों में याद उसकी सुख दुःख ... क्या रिश्ता उससे मेरा है क्यूँ याद आती हर पल उसकी थम जाता दिल मेरा हैहर बातों मे...